डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन परिचय | Dr Bhimrao Ambedkar biography in Hindi [2024]

डॉ भीमराव अंबेडकर, जिन्हें बाबासाहेब के नाम से जाना जाता है, ये भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। अम्बेडकर ने आधुनिक बौद्ध आंदोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया। वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री और भारत के संविधान निर्माता थे।

अम्बेडकर बहुत प्रतिभाशाली छात्र थे, उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से कानून की डिग्री और विभिन्न डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। अपने शुरुआती करियर में वे एक अर्थशास्त्री, प्रोफेसर और वकील थे। वे भारत की स्वतंत्रता अभियान में शामिल हो गए, उन्होंने दलितों के लिए राजनीतिक अधिकारों और सामाजिक स्वतंत्रता की वकालत करने वाली पत्रिकाओं को भी प्रकाशित किया।

दोस्तों! इस ब्लॉग में विस्तार से जानते हैं – डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी – Dr. B R Ambedkar Biography in Hindi के बारे में, तो दोस्तों विस्तार से जानते हैं –

डॉ भीमराव अंबेडकर भारतीय विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, शिक्षाविद, समाज सुधारक और भारत के प्रथम कानून मंत्री थे, जिन्हें संविधान निर्माता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने भारतीय संविधान तथा राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ भीमराव अंबेडकर 9 भाषाएं जानते थे उन्होनें 21 साल तक सभी धर्मों की पढ़ाई भी की थी। इनके पास कुल 32 डिग्री थी। वो विदेश जाकर अर्थशास्त्र में PHD करने वाले पहले भारतीय भी बने। इन्होंनें अछूतों (दलितों) के खिलाफ सामाजिक भेद भाव के विरुद्ध अभियान चलाया। जिसके कारण वे अछूतों के मसीहा बन गए।

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डॉ भीमराव अंबेडकर का जीवन (Dr Bhimrao ambedkar biography in Hindi)

डॉ भीमराव अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन परिचय (Early life introduction of Dr Bhimrao Ambedkar)

डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में स्थित महू में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘भिवा’ था। वे रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई की 14 वीं व अंतिम संतान थे। उनका परिवार कबीर पंथ को मानता था। वे हिंदू महार जाति से संबंध रखते थे, जो तब अछूत कही जाती थी।

डॉ भीमराव अंबेडकर सामाजिक और आर्थिक रूप से गहरा भेदभाव का सामना करना पड़ा। अम्बेडकर के पूर्वज लंबे समय से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में कार्यरत रहे थे और उनके पिता रामजी सकपाल, भारतीय सेना में सेवारत थे जो बाद में सूबेदार भी बने। उन्होंने मराठी और अंग्रेजी में अपनी औपचारिक शिक्षा प्राप्त की थी।

डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रारंभिक शिक्षा (Dr Bhimrao Ambedkar’s early education)

उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल से पूरी की। अपनी जाति के कारण डॉ भीमराव अंबेडकर को सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा था। विद्यालयी पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद छात्र भीमराव को छुआछूत के कारण अनेक प्रकार की कठनाइयों का सामना करना पड़ता था।

7 नवम्बर 1900 को रामजी सकपाल ने गांव के स्कूल में अपने बेटे डॉ भीमराव अंबेडकर का नाम भिवा रामजी आंबडवेकर दर्ज कराया। बाद में उनके एक ब्राह्मण शिक्षक कृष्णा केशव आम्बेडकर जो उनसे विशेष स्नेह रखते थे, उन्होंने उनके नाम से ‘आंबडवेकर’ हटाकर अपना सरनेम ‘आम्बेडकर’ जोड़ दिया। तब से आज तक वे आम्बेडकर नाम से जाने जाते हैं।

1897 में, डॉ भीमराव अंबेडकर का परिवार जब मुंबई आया तब उन्होंने शासकीय हाईस्कूल में अपनी आगे कि शिक्षा पूरी की। अप्रैल 1906 में, जब डॉ भीमराव अंबेडकर लगभग 15 वर्ष की आयु के थे, तब नौ साल की लड़की रमाबाई से उनकी शादी हुई। उन दिनों भारत में बाल-विवाह का प्रचलन था। इनका एक बेटा जिसका नाम यशवंत राव अम्बेडकर है।

भीमराव अंबेडकर की उच्च शिक्षा (Bhimrao Ambedkar’s higher education)

बॉम्बे विश्वविद्यालय में स्नातक अध्ययन (Undergraduate Studies at Bombay University)

1907 में, डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की और अगले वर्ष उन्होंने एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया, जो कि बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। इस स्तर पर शिक्षा प्राप्त करने वाले वे अपने समुदाय के पहले व्यक्ति थे। 1912 तक, उन्होंने बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीतिक विज्ञान में कला से स्नातक (बी॰ए॰) किया, और बड़ौदा राज्य सरकार के साथ काम करने लगे।

कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर अध्ययन (Postgraduate Studies at Columbia University)

1913 में, डॉ भीमराव अंबेडकर ने 22 वर्ष की आयु में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए, जहां उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ द्वारा स्थापित एक योजना के अंतर्गत कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए तीन वर्ष के लिए 11.50 डॉलर प्रति माह छात्रवृत्ति मिलती थी।

जून 1915 में उन्होंने कला से स्नातकोत्तर (एम॰ए॰) परीक्षा पास की, जिसमें अर्थशास्त्र प्रमुख विषय, और समाजशास्त्र, इतिहास, दर्शनशास्त्र और मानव विज्ञान यह अन्य विषय थे। उन्होंने स्नातकोत्तर के लिए प्राचीन भारतीय वाणिज्य विषय पर शोध कार्य किया।

लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में स्नातकोत्तर अध्ययन (Postgraduate Studies at the London School of Economics)

अक्टूबर 1916 में, ये लंदन चले गये और वहाँ उन्होंने ग्रेज़ इन में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए प्रवेश लिया, और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में भी प्रवेश लिया जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया।

जून 1917 में, विवश होकर उन्हें अपना अध्ययन अस्थायी तौरपर बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए क्योंकि बड़ौदा राज्य से उनकी छात्रवृत्ति समाप्त हो गई थी। बाबासाहेब मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में दो साल तक प्रिंसिपल पद पर भी कार्यरत रहे। बाद में उन्हें मुंबई के सिडनेम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनोमिक्स मे राजनीतिक, अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर के रूप में नौकरी मिल गई।

1920 में कोल्हापुर के शाहू महाराज, अपने पारसी मित्र के सहयोग और कुछ निजी बचत के सहयोग से वो एक बार फिर से इंग्लैंड गए तथा 1921 में एम॰एससी॰ की डिग्री ली। 1922 में बैरिस्टर-एट-लॉज डिग्री और 1923 में, उन्होंने अर्थशास्त्र में डी॰एससी॰ (डॉक्टर ऑफ साईंस) उपाधि प्राप्त की।

राजनीतिक पार्टी (political party)

डॉ भीमराव अंबेडकर, भारतीय रिपब्लिकन पार्टी से भी जुड़े। बाद में उन्होंने स्वयं की स्वतंत्र लेबर पार्टी की भी स्थापना की। इन्होंने आजादी के बाद भारत का पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, पर इस चुनाव में डॉ भीमराव अंबेडकर को पराजय का सामना करना पड़ा। आंबेडकर ने महाराष्ट्र की उत्तरी मुंबई सीट से चुनाव लड़ा और हार गए।

कांग्रेस पार्टी से अलग होने के बाद उन्होंने शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन पार्टी बनाई जो बाद में रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के नाम से जानी गई। वे दोबारा चुनाव के लिए खड़े हुए, देश में पहला आम चुनाव हुआ और डॉ भीमराव अंबेडकर ने भी इसमें हिस्सा लिया। उनकी पार्टी ने चुनाव में 35 प्रत्याशी खड़े किए, लेकिन दो को ही जीत मिली। खुद अंबेडकर को कांग्रेस प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा।

दलितों के मसीहा (messiah of dalits)

वर्ष 1920 में, उन्होंने मुंबई में साप्ताहिक “मूकनायक” का प्रकाशन का कार्य शुरू किया। जिसका इस्तेमाल डॉ भीमराव अंबेडकर रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिए करते थे।

बॉम्बे हाईकोर्ट में कानून की प्रैक्टीस करते हुए, उन्होंने अस्पृश्यों की शिक्षा को बढ़ावा दिया। उन्होंने पहला संगठित प्रयास “बहिष्कृत हितकारिणी सभा” की स्थापना की, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना था। वर्ष 1930 में, भीमराव अम्बेडकर ने कालाराम मंदिर सत्याग्रह शुरू किया। जिसमें लगभग 15,000 स्वयंसेवको ने भाग लिया।

इस आंदोलन में पहली बार दलित पुरुष और महिलाएं एक साथ भगवान का दर्शन करना चाहते थे। जब सभी आंदोलनकारी मंदिर के गेट तक पहुंचे, तो उन्हें गेट पर खड़े ब्राह्मण अधिकारियों द्वारा गेट बंद कर दिया गया। जब विरोध प्रदर्शन उग्र हुआ तब गेट खोल दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप दलितों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति मिलने लगी।

देश के पहले कानून मंत्री (country’s first law minister)

डॉ भीमराव अंबेडकर स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री थे जिन्होंने संविधान निर्माण में अहम योगदान दिया और इन्हीं की वजह से अछूतों (दलितों) को मंदिर जाने का अधिकार मिला, छुआछूत जैसी सामाजिक बुराई दूर हुईं तथा इन्होंने शोषण के विरुद्ध काम किया। यह गरीबों के लिए ये किसी मसीहा से कम नहीं थे, डॉ भीमराव अंबेडकर ने पूरे देश में समानता का अधिकार और भेदभाव रहित सभी के कल्याण के लिए काम किया।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने दलितों के उत्थान और भारत में पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए अपना पूरा जीवन का परित्याग कर दिया। वे दलितों के मसीहा के रूप में मशहूर हैं। आज समाज में दलितों का जो स्थान मिला है। उसका पूरा श्रेय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को जाता है।

डॉ भीमराव अम्बेडकर के कार्य (Works of Dr. Bhimrao Ambedkar)

डॉ भीमराव अंबेडकर के द्वारा तैयार किए गए संविधान में व्यक्तिगत नागरिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी और सुरक्षा प्रदान की गई है, जिसमें धर्म की आजादी, अस्पृश्यता को खत्म करना, और भेदभाव के सभी रूपों का उल्लंघन करना शामिल है।

इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए तर्क दिया और अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सदस्यों के लिए नागरिक सेवाओं, स्कूलों और कॉलेजों में नौकरियों के आरक्षण की व्यवस्था शुरू करने के लिए असेंबली का समर्थन भी जीता।

8 घंटे काम करने का नियम (8 hour work rule)

पहले मजदूरों को फैक्ट्रियों में कम से कम 12-14 घंटे काम करना पड़ता था, किन्तु जब B R Ambedkar Labor Member of the Viceroy’s Executive Council के सदस्य थे तब उन्ही की वजह से फैक्ट्रियों में अपने काम करने का नियम बदल कर सिर्फ 8 घंटे कर दिया गया था। वर्ना आज भी मजदूर 12-14 काम कर रहे होते।

इसके अलावा इन्होंने महिला श्रमिकों के लिए सहायक Maternity Benefit for women Labor, Women Labor welfare fund, Women and Child, Labor Protection Act जैसे कानून बनाए। जिन्हें आज भी फॉलो किया जाता है। इस प्रकार उन्होंने हर पिछड़े लोगों का ध्यान रखा।

राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र (Ashoka Chakra in the National Flag)

स्वतंत्र भारत में जब राष्ट्रीय ध्वज पर विचार विमर्श किया जा रहा था, तब डॉ भीमराव अंबेडकर “संविधान ड्राफ्टिंग कमेटी” के अध्यक्ष ही थे। जिन्होंने राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र का सुझाव दिया। उन्हीं की बदौलत आज तिरंगे में अशोक चक्र प्रदर्शित होता है। तिरंगे में अशोक चक्र की चौबीस तीलियां, समय के 24 घंटों को दर्शाती है। डॉ भीमराव अंबेडकर की वजह से आज हम अपने राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र को देखते हैं।

जम्मू कश्मीर में धारा 370 का विरोध (Opposition to Article 370 in Jammu and Kashmir)

जम्मू कश्मीर का धारा 370 सबसे विवादित मसला रहा था, जो सालों तक चलता रहा। पर सबसे पहले इस धारा का विरोध डॉ भीमराव अंबेडकर ने किया था। डॉ भीमराव अंबेडकर नहीं चाहते थे कि जम्मू कश्मीर में इस धारा को लागू किया जाए।

डॉ भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 का विरोध किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया गया था और उनकी इच्छाओं के खिलाफ संविधान में शामिल किया गया था। पर फिलहाल भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर में धारा 370 को पूरी तरह से हटा दिया गया है।

डॉ भीमराव अंबेडकर की किताबें (Books of Dr. Bhimrao Ambedkar)

डॉ भीमराव अंबेडकर ने कई किताबें भी लिखी है उन्होनें बौद्ध धर्म के बारे में भी किताबें लिखी। उनकी किताब “बुद्ध या कार्ल मार्क्स” उनके धर्म उनके मरने के बाद प्रकाशित हुई। उनकी ये किताबें बहुत फेमस हुई ये किताब है –

  1. एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ दी इस्ट इंडिया कंपनी
  2. द प्रॉब्लम ऑफ़ द रूपी : इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्युशन।

इसके अलावा इन्होंने ये किताबें भी लिखी हैं –

  • अछूत और अस्पृश्यता पर निबंध
  • वीजा की प्रतीक्षा (वेटिंग फॉर ए वीजा)
  • भारत में जाति : उनकी प्रणाली, उत्पत्ति और विकास है
  • इवोल्युशन ओफ प्रोविन्शिअल फिनान्स इन ब्रिटिश इंडिया
  • जाति के विनाश
  • हू वर द शुद्राज़?
  • द अनटचेबलस: ए थीसिस ऑन द ओरिजन ऑफ अनटचेबिलिटी
  • थॉट्स ऑन पाकिस्तान
  • द बुद्ध एंड हिज़ धम्म
  • बुद्ध या कार्ल मार्क्स

इसीलिए छोड़ा डॉ भीमराव अम्बेडकर ने हिन्दू धर्म (That’s why Dr. Bhimrao Ambedkar left Hindu religion)

डॉ भीमराव अंबेडकर हिन्दू धर्म के रीति-रिवाज के घोर विरोधी थे और उन्होनें जाति विभाजन की कठोर निंदा भी की। वे समानता का अधिकार चाहते थे। हिंदू धर्म के पंडित, दलितों को मंदिर में घुसने नहीं देते थे, उन्हें पानी पीने का अधिकार नहीं था क्योंकि वे अछूत हैं उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे।

और यही कारण था की भीमराव अंबेडकर ने हिंदू धर्म को छोड़ने का फैसला किया। क्योंकि हिंदू पंडित अपने ही धर्म के लोगों में बहुत भेदभाव का व्यवहार करते थे। जो अंबेडकर जी को बिल्कुल पसंद नहीं थी।

डॉ भीमराव अंबेडकर ने इसीलिए अपनाया बौद्ध धर्म (That’s why Dr. Bhimrao Ambedkar adopted Buddhism)

वर्ष 1950 के दशक में भीमराव अम्बेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध भिक्षुओं के सम्मेलनों में भाग लेने के लिए श्रीलंका गए। बाद में 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर शहर में डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर ने स्वयं और अपने समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया।

जिसमें उन्होनें अपने करीब 5 लाख अनुयायियों को बौद्ध धर्म में रुपान्तरण किया। जिनमें सबसे पहले डॉ॰ अम्बेडकर ने अपनी पत्नी सविता एवं कुछ सहयोगियों के साथ भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया।

भीमराव अंबेडकर की मृत्यु (Death of Bhimrao Ambedkar)

डॉक्टर आंबेडकर सन 1948 से ही मधुमेह से पीड़ित थे। दवाइयों के दुष्प्रभाव और खराब दृष्टि के कारण 1954 तक वे बिस्तर पर ही रहे। सन 1955 में उनकी तबीयत बहुत खराब हो गई थी। उन्होंने अपनी अंतिम पांडुलिपि लिखी जो ‘बुद्ध और उनके धम्म’ को पूरा करने के तीन दिन बाद, अंबेडकर की 6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनके घर पर नींद में ही मृत्यु हो गई थी।

उन्होनें खुद को बौद्ध धर्म में बदल लिया था, इसलिए उनका अंतिम संस्कार बौद्ध धर्म की रीति-रिवाज के अनुसार ही किया गया था। उनके अंतिम संस्कार में सैकड़ों की तादाद में लोगों ने हिस्सा लिया। मृत्यु के समय इनकी उम्र 65 वर्ष थी। हर साल 20 लाख से भी अधिक लोग उनकी जयंती में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठे होते हैं। अम्बेडकर के अनुयाई उन्हें बड़े आदर एवं सम्मान से “बाबासाहेब” कहते हैं। आज भी भीमराव अंबेडकर को भारत का सबसे लोकप्रिय व्यक्ति माना जाता है।

डॉ भीमराव अंबेडकर जयंती (Dr Bhimrao Ambedkar Jayanti)

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने दलितों के उत्थान करने के लिए, समाज में दिए गए उनके योगदान और उनके सम्मान के लिए उनके जन्मदिन 14 अप्रैल को अंबेडकर की जयंती मनाया जाता है। उनके जन्मदिवस पर नेशनल हॉलीडे घोषित किया जाता है। इस दिन सभी निजी, सरकारी शैक्षणिक संस्थानों की छुट्टी होती है। 14 अप्रैल में मनाई जाने वाली अम्बेडकर जयंती को भीम जयंती भी कहा जाता है। उन्हें देश के अहम योगदान के कारण आज भी याद किया जाता है।

डॉ भीमराव अंबेडकर के पुरस्कार (Dr. Bhimrao Ambedkar’s Awards)

देश को सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक, औद्योगिक, संवैधानिक समेत अलग-अलग क्षेत्रों में कई काम कर राष्ट्र के निर्माण में अहम योगदान दिया। उनके इन्हीं कामों के कारण, उन्हें कई अवार्ड मिले। इन्हें भारत का सर्वोच्च पुरस्कार रत्न से सम्मानित किया गया। जो बहुत ही प्रतिभाशाली लोगों को दिया जाता है, उनमें अंबेडकर भी एक हैं। अंबेडकर को मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न दिया गया था।

डॉ. भीमराव अम्बेडकर के प्रेरणादायक विचार (Inspirational thoughts of Dr. Bhimrao Ambedkar)

भीमराव अंबेडकर के प्रेरणादायक विचार आज भी लोगों में नई क्रांति लाते हैं उनके विचार इस प्रकार हैं –

“छिने हुए अधिकार भीख से नहीं मिलते, अधिकार वसूल करना होता है।”

“न्याय हमेशा समानता के विचार को पैदा करता है।”

“शिक्षा महिलाओ के लिए भी उतनी ही जरुरी है, जितनी पुरुषो के लिए।”

“शिक्षा वो शेरनी है,जो इसका दूध पियेगा वो दहाड़ेगा।”

“जो धर्म स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सिखाता है, वही सच्चा धर्म है।”

“मै बहुत मुश्किल से इस कारवां को इस स्थिती तक लाया हु। यदि मेरे लोग,मेरे सेनापति इस कारवां को आगे नहीं ले जा सके, तो पीछे भी मत जाने देना।”

“एक इतिहासकार सटीक,इमानदार और और निष्पक्ष होना चाहिए।”

तो दोस्तों, डॉ. भीमराव अम्बेडकर जीवनी – Dr. B R Ambedkar Biography in Hindi आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं, अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आया हो तो अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।

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