महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय (Mahavir Prasad Dwivedi Biography In Hindi 2024)

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महावीर प्रसाद द्विवेदी का जीवन परिचय (Mahavir Prasad Dwivedi Biography In Hindi): महावीर प्रसाद द्विवेदी एक भारतीय हिंदी साहित्य के युगप्रवर्तक साहित्यकार, कवि, पत्रकार और संपादक थे। वह इतने अच्छे लेखक थे कि उनके नाम से आधुनिक हिंदी साहित्य का एक युग ही चल पड़ा था जिसे द्विवेदी युग कहा जाता है। यह युग 1893 से 1918 तक चला था। उन्होंने आलोचनात्मक निबंध लिखे जहां उन्होंने अपने समय के लेखकों और कवियों की आलोचना की।

इससे हिंदी लेखन को बेहतर बनाने में मदद मिली। उन्होंने कवियों को नई शैलियाँ आज़माने के लिए प्रोत्साहित किया और लेखकों को बेहतर लिखने के लिए प्रेरित किया। द्विवेदी जी सिर्फ कवि और लेखक ही नहीं, बल्कि एक कुशल संपादक, शिक्षक और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने हिंदी नवजागरण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।

उनके प्रयासों से हिंदी साहित्य का जीवनी, यात्रा वृतांत, कहानी, उपन्यास, आलोचना, व्याकरण, अर्थशास्त्र, पुरातत्व, समाजशास्त्र, दर्शन और धर्म जैसे कई क्षेत्रों में विकास हुआ। उनकी प्रतिभा ने उन्हें नागरी प्रचारिणी सभा से “आचार्य” और हिंदी साहित्य सम्मेलन से “विद्या वाचस्पति” जैसी उपाधियाँ दिलाईं।

चलिए महावीर प्रसाद द्विवेदी के जीवन के बारे में विस्तार से जानते हैं। इसलिए आप इस आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें चलिए शुरू करते हैं–

Mahavir Prasad Dwivedi Biography In Hindi

नाममहावीर प्रसाद द्विवेदी
जन्म15 मई 1864
जन्म स्थानदौलतपुर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश
मृत्यु21 दिसम्बर, 1938
मृत्यु स्थानदौलतपुर, रायबरेली, उत्तर प्रदेश
अभिभावकरामसहाय द्विवेदी
राष्ट्रीयताभारतीय
समयकालआधुनिक काल, द्विवेदी युग
कर्म-क्षेत्रसाहित्यकार, कवि, पत्रकार, संपादक
सम्पादनसरस्वती पत्रिका
भाषाहिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी और अंग्रेज़ी
प्रमुख रचनाएँपुरालेख मोती, कहानी संग्रह, रघुवंश, हिंदी महाभारत, ऋतु तरंगिनी, कुमार संभव सार, किरातार्जुनीयम्, अद्भुत अलाप, सुकवि संकीर्तन, साहित्य प्रसंग, विचार-विमर्श, रसज्ञ काव्य अन्य।

महावीर प्रसाद द्विवेदी का प्रारंभिक जीवन

महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म एक मध्यम परिवार में सन् 1864 ई. में उत्तर प्रदेश के रायबरेली ज़िले के एक छोटे से गाँव दौलतपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम रामसहाय द्विवेदी था। उनके पिता ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में एक सैनिक थे, बाद में उनके पिता बॉम्बे में वल्लभ संप्रदाय के मंदिर के पुजारी रहे।

महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव के नजदीकी स्कूल में ही हुई थी। जब वे तेरह वर्ष के हुए तो उनके पिता ने उन्हें रायबरेली के ज़िला स्कूल में एडमिशन करवाया। इस स्कूल में वे संस्कृत विषय के अभाव में उन्होंने फ़ारसी विषय को पढ़ने के लिए चुना।

जहां उन्होंने एक वर्ष तक ही पढ़ाई की इसके बाद इन्होंने उन्नाव ज़िले के ‘रनजीत पुरवा स्कूल’ में चार साल तक ही पढ़ाई की। इसके बाद वे फ़तेहपुर के स्कूल में पढ़ने के लिए चले गए। बाद में उन्होंने बम्बई से संस्कृत, गुजराती, मराठी और अंग्रेज़ी विषय से पढ़ाई की थी।

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महावीर प्रसाद द्विवेदी का करियर

महावीर प्रसाद द्विवेदी के करियर में उन्होंने अपनी जीविका के लिए 1880 के दशक में मध्यप्रदेश के झाँसी में भारतीय रेलवे कर्मचारी के रूप में काम किया था। अपनी नौकरी के दौरान उन्होंने एक लेखक और साहित्यकार के रूप में भी अपना काम जारी रखा। अपने लेखन कार्य में उन्होंने अपार प्रसिद्धि हासिल की थी। सम्पादक के रूप में महावीर प्रसाद द्विवेदी ने निरन्तर पाठकों का हित चिन्तन किया था।

द्विवेदी जी ने रेलवे कर्मचारी के रूप में कुछ दिनों तक नागपुर और अजमेर में कार्य किया था इसके बाद वे वापस बम्बई लौट आए थे। अपने बेहतरीन काम के कारण उन्होंने अपने करियर में अनेक पदों पर काम किया था। रेलवे में वे सिगनलर का काम करते थे। बाद में वे झाँसी आ गए थे जहां उन्होंने डिस्ट्रिक्ट सुपरिण्टेण्डेण्ट के ऑफ़िस में चीफ़ क्लर्क का काम भी करते थे।

किंतु उच्च अधिकारी से अपने मतभेद के कारण उन्होंने जल्द ही त्यागपत्र दे दिया था। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपनी नौकरी के साथ-साथ अपना लेखन कार्य भी जारी रखा था। उन्होंने अपने लेखन में संस्कृत साहित्य के अनुवाद और उनकी आलोचना भी प्रकाशित किया था। जिसे लोगों द्वारा बहुत पसंद किया गया था।

अपने हिंदी साहित्य में उन्होंने अनुवाद, साहित्य सन्दर्भ और विचार विमर्श सहित अनेक आलोचनात्मक रचनाएँ भी प्रकाशित किया था। 1903 में महावीर प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी मासिक पत्रिका सरस्वती में काम करने लगे थे। द्विवेदी जी अपने लेखन अनुभवों से अपने शास्त्रीय और समकालीन साहित्य के ज्ञान से प्रेरित होकर सरस्वती पत्रिका का संपादन किया करते थे।

संपादक के रूप में उनका कार्यकाल 1903 से 1920 तक चला था उस दौरान, सरस्वती मासिक पत्रिका सबसे लोकप्रिय हिंदी पत्रिका बन गई थी। जिसका श्रेय महावीर प्रसाद द्विवेदी को जाता है। उन्होंने सरस्वती पत्रिका को निर्दोष, पूर्ण, सरस, उपयोगी बनाया था। उन्हें प्रसिद्ध हिंदी कवि और लेखक मैथिली शरण गुप्त का गुरु भी माना जाता है।

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महावीर प्रसाद द्विवेदी की रचनाएं

महावीर प्रसाद द्विवेदी नैतिकता के मूर्तिमान प्रतीक माने जाते है। उनकी रचनाओं में उनके विचारों और कथनों के पीछे उनके व्यक्तित्व की गरिमा भी देखने को मिलती है। उनकी रचनाओं की सबसे खास बात ये है कि उन्होंने अपनी रचनाओं में प्राचीनता की उपेक्षा न करते हुए भी नवीनता का समावेश किया था।

और यही कारण था कि महावीर प्रसाद द्विवेदी नवयुग के महान विधायक आचार्य माने जाते थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अपनी रचनाओं के कारण नवीन लेखकों और कवियों को प्रोत्साहित किया था। नीचे महावीर प्रसाद द्विवेदी की प्रमुख रचनाएं दी गई है–

महावीर प्रसाद द्विवेदी की मौलिक पद्य रचनाएँ

  • देवी स्तुति-शतक (1892 ई.)
  • कान्यकुब्ज-अबला-विलाप (1907 ई.)
  • काव्य मंजूषा (1903 ई.)
  • सुमन (1923 ई.)
  • द्विवेदी काव्य-माला (1940 ई.)
  • कविता कलाप (1909 ई.)

इसके अलावा भी महावीर प्रसाद द्विवेदी की मौलिक पद रचनाएं हैं।

महावीर प्रसाद द्विवेदी की मौलिक गद्य रचनाएँ

  • हिन्दी शिक्षावली तृतीय भाग की समालोचना (1901 ई.)
  • वैज्ञानिक कोश (1906 ई.)
  • ‘नाट्यशास्त्र’ (1912 ई.)
  • विक्रमांकदेवचरितचर्चा (1907 ई.)
  • हिन्दी भाषा की उत्पत्ति (1907 ई.)
  • सम्पत्तिशास्त्र (1907 ई.)
  • कौटिल्य कुठार (1907 ई.)
  • कालिदास की निरकुंशता (1912 ई.)
  • वनिता-विलाप (1918 ई.)
  • औद्यागिकी (1920 ई.)
  • रसज्ञ रंजन (1920 ई.)
  • कालिदास और उनकी कविता (1920 ई.)
  • सुकवि संकीर्तन (1924 ई.)
  • अतीत स्मृति (1924 ई.)
  • आध्यात्मिकी (1928 ई.)

इन सबके अलावा भी महावीर प्रसाद द्विवेदी की मौलिक गद्य रचनाएँ है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी की पद्य रचनाओं का अनुवाद

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने इन रचनाओं का अनुवाद किया है।उनकी प्रमुख पद्य रचनाओं का अनुवाद इस प्रकार है–

  • विनय विनोद (1889 ई.)
  • विहार वाटिका (1890 ई.)
  • स्नेह माला (1890 ई.)
  • श्री महिम्न स्तोत्र (1891 ई.)
  • गंगा लहरी (1891 ई.)
  • ऋतुतरंगिणी (1891 ई.)

इसके अलावा भी महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अनेक पद्य रचनाओं का अनुवाद किया है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी की गद्य रचनाओं का अनुवाद

महावीर प्रसाद द्विवेदी की कुछ प्रमुख गद्य रचनाओं का अनुवाद इस प्रकार है–

  • भामिनी-विलास (1891 ई.)
  • अमृत लहरी (1896 ई.)
  • बेकन-विचार-रत्नावली (1901 ई.)
  • ‘स्वाधीनता’ (1907 ई.)
  • रघुवंश (1912 ई.)
  • मेघदूत (1917 ई.)
  • प्राचीन पण्डित और कवि (1918 ई.)

इसके अलावा भी महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अनेक गद्य रचनाओं का अनुवाद किया है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी की आलोचनाएं

  • नाट्यशास्त्र
  • रसज्ञ – रंजन
  • साहित्य – सीकर
  • विचार – विमर्श
  • साहित्य – सन्दर्भ
  • कालिदास की निरंकुशता
  • कालिदास एवं उनकी कविता
  • नैषधचरित चर्चा

इसके अलावा भी महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अनेक आलोचनाएं लिखा है।

महावीर प्रसाद द्विवेदी का संकलन

  • अतीत – स्मृति
  • वाग्विलास
  • जल – चिकित्सा
  • वक्तृत्व – कला

इसके अलावा भी महावीर प्रसाद द्विवेदी ने अनेक संकलन लिखे हैं।

सम्पादन

  • ‘सरस्वती’ मासिक पत्रिका

महावीर प्रसाद द्विवेदी की अन्य रचनाएँ

  • हिन्दी भाषा की उत्पत्ति
  • सम्पत्तिशास्त्र और
  • अद्भुत आलाप

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महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्य में योगदान

महावीर प्रसाद द्विवेदी हिन्दी साहित्य के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे। उन्होंने ऐसे समय में हिंदी भाषा को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जब यह कलात्मक रूप से विकसित नहीं हो रही थी। उन्होंने इतिहास, अर्थशास्त्र और विज्ञान जैसे विभिन्न क्षेत्रों से सीख लेकर हिंदी में कमियों को भरा। उन्होंने जीवन भर हिंदी गद्य और स्वयं को निखारने का काम किया।

उन्होंने हिंदी गद्य और पद्य को एकीकृत करने, कई विधाओं का निर्माण करने में योगदान दिया। द्विवेदी अंग्रेजी और मराठी जैसी भाषाओं के कार्यों से प्रभावित थे। उन्होंने एक निबंधकार, आलोचक, अनुवादक और संपादक के रूप में उत्कृष्ट लेखन किया। उनके निबंधों का उद्देश्य पाठकों के ज्ञान को बढ़ते थे जो विविध विषयों, सरलता और उपदेशात्मकता की विशेषता रखते थे।

महावीर प्रसाद द्विवेदी ने मौलिक और अनूदित कविता और गद्य की अस्सी से अधिक पुस्तकों के साथ साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनमें से उन्होंने 50 मौलिक गद्य रचनाएँ और 14 अनुवादित रचनाएँ लिखीं। हालाँकि उनका झुकाव कविता की ओर बहुत अधिक नहीं था, फिर भी उनकी आठ अनुवादित काव्य रचनाएँ महत्व रखती हैं। इसके अलावा, उन्होंने नौ मौलिक रचनाएँ लिखीं जिन्हें तुकबंदी के नाम से जाना जाता है।

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महावीर प्रसाद द्विवेदी की उपलब्धियां

महावीर प्रसाद द्विवेदी भारतीय साहित्य के एक प्रमुख लेखक थे। उन्होंने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में हिंदी साहित्य को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। द्विवेदी का हिंदी साहित्य में योगदान बहुत बड़ा है जिससे उन्हें साहित्य जगत में प्रतिष्ठित दर्जा प्राप्त हुआ है।

उनकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक हिंदी गद्य के मानकीकरण और आधुनिकीकरण में उनके प्रयास थे। द्विवेदी समाज को आकार देने में भाषा की शक्ति में विश्वास करते थे और उन्होंने हिंदी को साहित्य और बौद्धिक वार्तालाप की भाषा के रूप में परिष्कृत करने के लिए अथक प्रयास किया।

द्विवेदी ने सरस्वती सहित कई साहित्यिक पत्रिकाओं और प्रकाशनों में महत्वपूर्ण काम किया, जो उभरते हिंदी लेखकों और विचारकों के लिए एक मंच बन गया। इन मंचों के माध्यम से, उन्होंने हिंदी में एक जीवंत साहित्यिक संस्कृति को बढ़ावा देते हुए साहित्यिक बहस, आलोचना और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित किया।

उनके संपादकीय कौशल असाधारण थे, और उन्होंने उनका उपयोग नवोदित लेखकों के कार्यों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पाठकों को हिंदी साहित्य के क्लासिक्स से परिचित कराने के लिए भी किया। इससे हिंदी लेखकों और विद्वानों की एक नई पीढ़ी को तैयार करने में मदद मिली।

इसके अलावा, द्विवेदी की भारतीय दर्शन, संस्कृति और आध्यात्मिकता में गहरी रुचि थी। उन्होंने इन बातों को अपने लेखन में शामिल किया और हिंदी साहित्य को भारतीय लोकाचार से मेल खाने वाले विषयों से समृद्ध किया।

महावीर प्रसाद द्विवेदी के अवार्ड

भारतीय साहित्य के एक प्रभावशाली व्यक्तित्व महावीर प्रसाद द्विवेदी को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले। उनकी असाधारण कविता के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें “राष्ट्र कवि” की उपाधि से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा, साहित्य में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें भारत के सबसे प्रतिष्ठित साहित्यिक पुरस्कारों में से एक, साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जो भारतीय साहित्य और संस्कृति पर उनके प्रभाव को दर्शाती हैं।

महावीर प्रसाद द्विवेदी की मृत्यु

महावीर प्रसाद द्विवेदी का निधन 21 दिसंबर, 1938 को रायबरेली, भारत में हुआ। वह एक प्रसिद्ध हिंदी लेखक, आलोचक और संपादक थे। द्विवेदी ने अपने कार्यों के माध्यम से हिंदी साहित्य को आधुनिक बनाने और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

उन्होंने अपने लेखन, अनुवाद और साहित्यिक आलोचना के माध्यम से हिंदी साहित्य जगत में बहुत बड़ा योगदान दिया। उनकी मृत्यु ने हिंदी साहित्य में एक युग का अंत कर दिया, और अपने पीछे एक समृद्ध विरासत छोड़ी जो आज भी लेखकों और बुद्धिजीवियों को प्रेरित करती है।

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महावीर प्रसाद के कोट्स

“जो व्यक्ति समय के साथ बदलता है, वह समय के साथ सच्चे और शक्तिशाली होता है।”

 

“समय के साथ साहित्य का अर्थ भी बदलता है, लेकिन साहित्य समय के साथ हमेशा साथ चलता है।”

 

“सच्ची साहित्यिक कला उस असली स्थिति को प्रकट करती है, जो अद्वितीय और अनुपम होती है।”

 

“विचार विश्वास की बुनियाद होती है, और साहित्य विचारों का संग्रहालय है।”

 

“साहित्य मानवता का एक आईना है, जो हमें हमारे असली रूप में दिखाता है।”

 

“साहित्य समाज की आत्मा को जगाता है और उसे समझाता है कि कैसे बेहतर और सहयोगी बना जा सकता है।”

तो दोस्तों! महावीर प्रसाद द्विवेदी के बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी? हमें कमेंट करके जरूर बताएं और अगर यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ भी इसी शेयर जरूर करें।

FAQs

Q: महावीर प्रसाद द्विवेदी कौन थे?

Ans: महावीर प्रसाद द्विवेदी एक प्रमुख भारतीय कवि, लेखक और संपादक थे जिन्होंने 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में हिंदी साहित्य के पुनरुद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Q: महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

Ans: महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म 11 दिसंबर, 1864 को भारत के वर्तमान उत्तर प्रदेश के दौलतपुर गाँव में हुआ था।

Q: महावीर प्रसाद द्विवेदी का हिंदी साहित्य में क्या योगदान था?

Ans: द्विवेदी को हिंदी गद्य और कविता के आधुनिकीकरण और मानकीकरण के प्रयासों के लिए जाना जाता है। उन्होंने हिंदी साहित्य को लोकप्रिय बनाने और इसे व्यापक दर्शकों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

Q: महावीर प्रसाद द्विवेदी के कुछ उल्लेखनीय कार्य क्या थे?

Ans: द्विवेदी के कुछ उल्लेखनीय कार्यों में उनके आलोचनात्मक निबंध, साहित्यिक टिप्पणियाँ और जीवनियाँ शामिल हैं। उन्होंने सरस्वती जैसी कई साहित्यिक पत्रिकाओं का संपादन भी किया, जो उभरते लेखकों के लिए प्रभावशाली मंच बन गईं।

Q: महावीर प्रसाद द्विवेदी ने भारतीय पत्रकारिता में किस प्रकार योगदान दिया?

Ans: द्विवेदी भारतीय पत्रकारिता में एक अग्रणी व्यक्ति थे। उन्होंने कई साहित्यिक पत्रिकाओं की स्थापना और संपादन किया, जिन्होंने उभरते लेखकों और विचारकों को एक मंच प्रदान किया और आधुनिक भारतीय साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

Q: क्या महावीर प्रसाद द्विवेदी को उनके काम के लिए कोई मान्यता मिली?

Ans: हाँ, महावीर प्रसाद द्विवेदी को हिंदी साहित्य और पत्रकारिता में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए नई पहचान मिली। उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए उन्हें “राष्ट्र कवि” की उपाधि से सम्मानित किया गया था।

Q: महावीर प्रसाद द्विवेदी का साहित्य दर्शन क्या था?

Ans: द्विवेदी समाज के उत्थान और सांस्कृतिक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए साहित्य की शक्ति में विश्वास करते थे। उन्होंने हिंदी साहित्य की आधुनिक और सुलभ शैली की वकालत करते हुए लेखन में सरलता और स्पष्टता के महत्व पर जोर दिया।

Q: महावीर प्रसाद द्विवेदी का निधन कब हुआ?

Ans: 19 जनवरी, 1938 को हिंदी साहित्य में साहित्यिक और पत्रकारीय योगदान की विरासत छोड़कर महावीर प्रसाद द्विवेदी का निधन हो गया।

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